आप इस बात को मानेंगे नहीं लेकिन स्मार्टफोन डैमेज में सबसे ज्यादा डैमेज जो कुछ होता है वो स्मार्टफोन की स्क्रीन होती है। कुछ लोगो की स्क्रीन बिलकुल टूट जाती है। कुछ लोगो की स्क्रीन क्रैक होकर भी चलती रहती है और कुछ लोगो के डेन्ट-वेन्ट पड़ जाते है या स्क्रेच पड़ जाते है। तो आखिर कर स्मार्टफोन्स कंपनियाँ ऐसा फ़ोन क्यों नहीं बना पा रही है जिसकी स्क्रीन कभी टूटे ही नहीं जिसके स्क्रीन में स्क्रेच लगे ही ना जिसके स्क्रीन में स्क्रीन ग्लास लगाने की जरूरत ही ना पड़े।
ये स्मार्टफोन्स कंपनियाँ कितना भी कह दे की हमने कोर्निग गोरिल्ला गिलास और स्क्रेच प्रूफ स्क्रीन लगाया हुआ है फिर भी आपको स्क्रीन गार्ड लगना ही पड़ता है जरा सोच के देखो इतना हाई टेक फ़ोन ख़रीदा है अपने जिस की कीमत साठ हजार , सत्तर हज़ार रूपए है फिर भी उसमे आपको पचास , साठ रूपए का स्क्रीन गार्ड लगाना पड़ता है तो ये कहा की टेक्नोलॉजी है ऐसा क्यों हो रहा है आज इस बारे में हम जाने गें। इसलएइसलिए इस article को पूरा ज़रूर पड़ना नहीं तो कुछ समझ में नहीं आयेगा।
स्मार्टफोन का टच स्क्रीन किस का बना हुआ है।
देखिये जो स्मार्टफोन के स्क्रीन में जो ग्लास या सीसा लगाया जा रहा है वो है तो एक ग्लास ही या सीसा ही तो है इसलिए अब यहाँ पर दो परेशानियाँ है smartphone Company के लिए।स्मार्टफोन कंपनियां केसा स्क्रीन बना सकते है।
पहला :- ये स्मार्टफोन्स कंपनियाँ या तो ऐसी स्क्रीन बना सकती है जो टूटे नहीं जल्दी बहुत फ्लेक्सीबल हो लेकिन उसमे स्क्रेच आएँगे कियोकि ये प्लास्टिक के बने होंगे या फाइबर के बने होंगे।दूसरा :- या तो ऐसी स्क्रीन बना सकती है की स्क्रीन के शीशे में स्क्रेच जल्दी ना आए पर ज़रा सी झटके से टूट जाएगा हार्डनेस की वजह से। जो ग्लास जितना ज्यादा हार्ड होता है जितना शुद्ध ग्लास होता है वो उतना ही जल्दी झटका लगने पर टूट जाएगा लेकिन उसमे स्क्रेच कम पड़ते है।
उदाहरण :- अगर आप मिट्टी में या गले में ना-ख़ून मरोगे तो निशान पड़ जायेगा पर शीशे के ऊपर ना-खून मारने पर निशान नहीं पड़ेंगे क्योंकि मिट्टी बहुत नरम होता हैं और शीशे बहुत हार्ड होता है।
स्मार्टफोन कंपनियां को कोन सा स्क्रीन बनाना चाहिए।
स्मार्टफ़ोन कम्पनी अगर फ्लेक्सीबल ग्लास बना देते है जो गिरने पर टूटे नहीं पर इसमें स्क्रेच जल्दी पड़ जाएंगे। अपने देखा होगा जो पहले के टच फ़ोन आते थे उसके स्क्रीन में बहुत जल्दी स्क्रेच आ जाते थे लेकिन आज के स्क्रीन में स्क्रेच नहीं पड़ते क्योंकि उसमे फाईबर के गिलास लगा होता था इसलिए स्क्रेच पड़ जाते थे लेकिन आज के स्क्रीन में स्क्रेच नहीं पड़ते। पर जल्दी टूट जाते है। इसीलिए इन दोनों तरीकों से अलग-अलग नहीं बनाया जा सकता है। या तो कोई ऐसा ग्लास होगा जिसमे जल्दी स्क्रेच नहीं लगेंगे लेकिन जल्दी टूट जायेगा। या तो जल्दी नहीं टूटे गा पर स्क्रेच जल्दी पड़ जाएगा।mobile ki touch kaise thik kare
इसीलिए स्मार्टफोन्स कंपनियाँ ने इन दोनों को जोड़कर एक समाधान निकला गया जिसका नाम है Corning Gorilla Glass जोकि दोनों ही प्रॉपर्टी को इसमें डाला गया है जिस करके इसमें जल्दी स्क्रेच भी नहीं लगते और कुछ हद तक टूटने से बच जाते है लेकि जोर से फ़ोन को गिराया जाए तो टूट ही जायेगा। इसीलिए स्मार्टफोन्स कंपनियाँ ऐसा स्क्रीन नहीं बना सकती जो कभी टूटे ही न कभी स्क्रेच ना पड़े।इसीलिए आज भी साठ हजार , सत्तर हज़ार रूपए का इतना हाई टेक फ़ोन ख़रीदने के बाद भी हमें पचास , साठ रूपए का स्क्रीन गार्ड लगाना पड़ता है।
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